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Saturday, 31 December 2016

नववर्ष नयी सी आभायें बिखेरने आया हैं।

Happy New Year

नववर्ष नयी सी आभायें बिखेरने आया हैं
जीवन में उमंग, तरंग, आनंद भरने आया हैं
नवचेतना का नव संचार करने आया हैं
जीवन मूल्यों को नव आधार देने आया हैं
जीवन के सुनहरे से केनवास पर
ख़ुशहाली की नव तस्वीर बनाने आया हैं
गत वर्ष जिन रंगों से अछूता रहा जीवन
मुट्ठी में भर उन रंगों को उछालने आया हैं।

#ManishSharma

Saturday, 12 November 2016

ताउम्र पैसों के इर्द गिर्द घूमती रही कमबख़्त ज़िंदगी...

ताउम्र पैसों के इर्द गिर्द

घूमती रही कमबख़्त ज़िंदगी

रिश्तों की परछाईयाँ

अंधेरों में ढूँढती रही ज़िंदगी

पैसा हाथ से फ़िसला

रिश्ते लकीरों से गिरे

फ़िर भी गुरेज़ से ऊँचा

मस्तक किये भागती रही ज़िंदगी

बचपन में खेल खिलौनों से

जी भर मन बहलाया

युवावस्था से मरणासन्न तक

पैसों से ख़ूब खेलती रही ज़िंदगी

पलकें ख़्वाहिशों का बोझ ढोये

सफ़र तय करती रही मीलों का

बहरूपिये पैसे संग

आँख मिचौली करती रही ज़िंदगी

ताउम्र पैसों के इर्द गिर्द

घूमती रही कमबख़्त ज़िंदगी

रिश्तों की परछाईयाँ

अंधेरों में ढूँढती रही ज़िंदगी !!!

#ManishSharma

Friday, 30 September 2016

सलाम भारतीय सेना

मुझे बड़ी हैरानगी होती हैं जब अपनी रोटियाँ सेंकने के लिये कोई मुल्क़, किसी मुल्क़ में बेपनाह आतंकवाद को पनपने देता हैं। मैं बात कर रहा चीन की जो जानता हैं कि पाकिस्तान आतंकवाद को पालते हुए पूरे विश्व में आतंकवाद फैला रहा हैं और भारत इससे सबसे ज्यादा प्रभावित हैं फिर भी चीन अपने हथियार और रसद सामग्री पाकिस्तान को बेचने के चलते अपना स्वार्थ साध रहा हैं। मैं अभी कुछ देर पहले टीवी में देख रहा था जिसमें पाकिस्तान के किसी टीवी चैनल पर भारत द्वारा किये गए सर्जीकल स्ट्राइक पर चर्चा चल रही थी। टीवी चैनल के संवाददाता खुले में कह रहे थे कि भारत अगर दाऊद इब्राहिम को मारना चाहता है तो दाऊद पकिस्तान में नहीं हैं और रही बात "हाफ़िज़ सईद" की तो उनके फियादीन इतनी तादाद में हैं कि भारत की र से आने वाले किसी भी इंसान चाहे वो सैनिक हो या कोई भी शख़्स उसकी टाँगे तोड़ दी जायेगी, उसकी जान को भी ख़तरा होगा। अब मुझे समझ में ये नहीं आ रहा कि पाकिस्तान के समर्थन में वहाँ की जनता हैं भी या नहीं क्यों की वहाँ की बहुत बड़ी आबादी आज भी मूलभूत आवश्यकताओं से जूझ रही हैं। पेट में रोटी नहीं बात ज़ेहाद की, ये बात बड़ी बेमानी सी लगती हैं। पाकिस्तान के हुक्मरान उनकी जनता की मूलभूत आवश्यकताओं तक तो पहुँच नहीं पा रहे हैं और बात कर रहे भारत से कश्मीर को लेने की। अब कोई पाकिस्तान से ये पूछे की जो तुम्हारे पास हैं वो तुमसे संभाला नहीं जा रहा। तो कश्मीर लेने की ख़्वाहिश रखते हुए इसे भी भूखा नंगा बनाना चाहते हो। पाकिस्तान को ख़ुद की ज़मीन को चमन बनाने या ज़न्नत बना लेने पर मंथन करना चाहिये। पाकिस्तान की आवाम ने अग़र उनके ही मुल्क़ में बग़ावत का बिगुल एक स्वर में बजा दिया तो पाकिस्तान में गृह्क्रान्ति हो जायेगी और फ़िर कभी भी किसी भी मुल्क़ में आतंकवाद फैलाना तो दूर की बात पाकिस्तान आतंकवाद के बारे में सोच भी नहीं पायेगा। जय हिंद।

Monday, 15 August 2016

आज़ादी की एक भोर ऐसी भी होगी...

शरीर तो आज़ाद हो गये थे 1947 में

सोच आज भी इंतज़ार में हैं रिहाई के

विकार के सारे बादल छंट जायेंगे इक दिन

हर एक कोने में धूप छम से बिखर जायेगी

सारे भेद मिटा उस दिन हम इंसान बन जायेंगे

उस दिन सभी की थाली में रोटी होगी

किसी की भी आँखें नम ना होगी

जमीं पर प्रेम और वात्सल्य की बरखा होगी

आज़ादी की एक भोर ऐसी भी होगी

जाति, धर्म और मज़हब की आड़ में

ना किसी की कुटिया जलेगी

ना किसी की चिता सुलगेगी

ना कोई बेबस होके सूत भरेगा

ना ही कोई जीते जी रोज़ मरेगा

बहन बेटियाँ और बहुओं की

अस्मत तार तार ना होगी

सारा देश उनके घर सा होगा

और वो ख़ुद को महफूज़ समझेगी

आज़ादी की एक भोर ऐसी भी होगी

उस दिन जश्न ए आज़ादी सही मायनों में होगी !!!

#ManishSharma

Happy Independence Day