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Friday 30 September 2016

सलाम भारतीय सेना

मुझे बड़ी हैरानगी होती हैं जब अपनी रोटियाँ सेंकने के लिये कोई मुल्क़, किसी मुल्क़ में बेपनाह आतंकवाद को पनपने देता हैं। मैं बात कर रहा चीन की जो जानता हैं कि पाकिस्तान आतंकवाद को पालते हुए पूरे विश्व में आतंकवाद फैला रहा हैं और भारत इससे सबसे ज्यादा प्रभावित हैं फिर भी चीन अपने हथियार और रसद सामग्री पाकिस्तान को बेचने के चलते अपना स्वार्थ साध रहा हैं। मैं अभी कुछ देर पहले टीवी में देख रहा था जिसमें पाकिस्तान के किसी टीवी चैनल पर भारत द्वारा किये गए सर्जीकल स्ट्राइक पर चर्चा चल रही थी। टीवी चैनल के संवाददाता खुले में कह रहे थे कि भारत अगर दाऊद इब्राहिम को मारना चाहता है तो दाऊद पकिस्तान में नहीं हैं और रही बात "हाफ़िज़ सईद" की तो उनके फियादीन इतनी तादाद में हैं कि भारत की र से आने वाले किसी भी इंसान चाहे वो सैनिक हो या कोई भी शख़्स उसकी टाँगे तोड़ दी जायेगी, उसकी जान को भी ख़तरा होगा। अब मुझे समझ में ये नहीं आ रहा कि पाकिस्तान के समर्थन में वहाँ की जनता हैं भी या नहीं क्यों की वहाँ की बहुत बड़ी आबादी आज भी मूलभूत आवश्यकताओं से जूझ रही हैं। पेट में रोटी नहीं बात ज़ेहाद की, ये बात बड़ी बेमानी सी लगती हैं। पाकिस्तान के हुक्मरान उनकी जनता की मूलभूत आवश्यकताओं तक तो पहुँच नहीं पा रहे हैं और बात कर रहे भारत से कश्मीर को लेने की। अब कोई पाकिस्तान से ये पूछे की जो तुम्हारे पास हैं वो तुमसे संभाला नहीं जा रहा। तो कश्मीर लेने की ख़्वाहिश रखते हुए इसे भी भूखा नंगा बनाना चाहते हो। पाकिस्तान को ख़ुद की ज़मीन को चमन बनाने या ज़न्नत बना लेने पर मंथन करना चाहिये। पाकिस्तान की आवाम ने अग़र उनके ही मुल्क़ में बग़ावत का बिगुल एक स्वर में बजा दिया तो पाकिस्तान में गृह्क्रान्ति हो जायेगी और फ़िर कभी भी किसी भी मुल्क़ में आतंकवाद फैलाना तो दूर की बात पाकिस्तान आतंकवाद के बारे में सोच भी नहीं पायेगा। जय हिंद।