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Monday, 25 February 2013

मैं कायर हूँ




मैं कायर हूँ, बुज्ज़दिल हूँ

मैं वो बनने का प्रयास कर रहा हूँ

जो मैं नहीं हूँ

झूठी मुस्कान लिए

नकली नकाब़ पहने

मैं उन लोगों की हाँ में हाँ भर रहा हूँ

जो इस काबिल नहीं

मैं उन लोगों की जी हूज़ूरी कर रहा हूँ

जो इस लायक नहीं

मुझे ये करना होगा

क्यों कि मेरे पास

इसके सिवा कोई चारा नहीं

क्यों कि मुझमें बगावत

करने की ताकत नहीं....

Sunday, 24 February 2013

बेबस निग़ाहें



मैं किस खुशी की बात करूँ

जब कि ग़म तो, हर बहाने से हैं

तुम्हें होगी फ़िकर जहाँ भर की

उसके पास इतना

उसके पास  उतना

मुझे नहीं चाहिए, शान ओ शौकत

मुझे नहीं चाहिए, नाम ओ शोहरत

मेरी बेबस निग़ाहें तरस रही

दो जून की रोटी को

मेरी खामोशियाँ हैं पुकार रही

सिर्फ एक लंगोटी को

जिस्म से आह निकल रही

सांसें मेरी उखड़ रही

तुम परवाह करो तुम्हारी

मेरा क्या, मैं ऐसे ही जी लूंगा

ना जी सका, तो थोडा़-थोडा़ मर लूंगा

तुम्हारे लिए बेफ़िजूल हैं

मेरी ये सारी कहानी

तुम परवाह करो

सिर्फ तुम्हारी

मैं  जी लूंगा

ना जी सका

तो थोडा़-थोडा़ मर लूंगा...

Tuesday, 12 February 2013

मैं तुम नहीं



मैं वो नहीं बनना चाहती, जो तुम हो

मैं वो नहीं होना चाहती, जो तुम हो

मैं तुम हो गयी तो मैं, मैं नहीं रहूंगी

मैं थम गयी, तो फिर कभी नहीं बहूँगी

मेरा वजूद तुम नहीं हो

मेरी पहचान तुम नहीं हो

मेरे जीने की वज़ह तुम नहीं हो

मेरे हँसने का सबब तुम नहीं हो

मेरे अल्फाज़ तुम नहीं हो

मेरी परवाज़ भी तुम नहीं हो

तुमने मुझे क्या समझा

भोग विलास का साधन

तुमसे मुझे क्या हासिल

ग़म, दर्द, यातना

मैं सदियों से सहती रही हूँ

क्या अब भी सहूँ

मैं बरसों से खमोश रही हूँ

क्या अब भी चुप रहूँ....?